कौमी एवं राष्ट्रीय एकता को समर्पित इन पंक्तियों का गीत संगीत एवं गायन मैंने स्वयं किया है। आशा करता हूँ आप सभी इसे पसंद करेंगे।
गंगा यहाँ यहाँ जमुना, नर्मदा कृष्णा यहाँ
गलवान का यहाँ शौर्य है, लद्दाख की क्या बात है।
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है।
हिन्दू यहाँ, यहाँ मुस्लिम, जैन बौद्ध और ईशा यहाँ
अल्लाह का अरमान है, श्रीराम का यहाँ वास है।
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है।
मानेक शॉ की शान यहाँ, हामीद के तोपों की गर्जन
परमवीर सोमनाथ शर्मा, की अतुल जयकार है ।
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है।
भिन्न भिन्न भाषाओं का, अलंकार संगम यहाँ
नृत्य सुर संगीत का, यह अगम संसार है।
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है।
वेद पुराण गीता और बाइबल और यहाँ कुरान है
लोकतन्त्र की अमृत धारा, और यहाँ संविधान है।
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है
यह राष्ट्र है, यह राष्ट्र है।
द्वारा – डॉ कृष्ण कुमार सिंह
गोमती नगर, लखनऊ ।