अभी अभी लिखा है मित्रों 😅 अपने शहर ए तहज़ीब के नाम।
क्या नही इस शहर में?
अदब है, तहज़ीब भी
समर्पण और आकर्षण भी
जो जी ले इसे जी भर
फिर उसे काहे का डर?
दर्द ए दिल की यहां से दवा लीजिए
एक दो पल यहां पर बीता दीजिए
जहां जन्नत भी आ के करे हैं वजू
मुस्कुरा दीजिए ये तो है लखनऊ
यहां रिक्शे से गंज की हवा लीजिए
सस्ते मेट्रो में खुद को बिठा दीजिए
जहां फूलो में भी है इत्र सी खुशबू
मुस्कुरा दीजिए ये तो है लखनऊ
यहां कुल्हड़ में चाय की चुस्की लीजिए
उड़ती चिड़ियों से भी थोड़ी मस्ती कीजिए
जहां जनेश्वर की झीलें करे गूफ्तगू
मुस्कुरा दीजिए ये तो है लखनऊ
यहां हस्ती से सस्ती चिकन लीजिए
रिवर फ्रंट पे घंटो बीता दीजिए
जहां शिकंजी से खुद को करे हम तरु
मुस्कुरा दीजिए ये तो है लखनऊ
इमामबाड़े पे नजरे टीका लीजिए
ऐतिहासिक गदर की कदर कीजिए
जहां नवाबों के किस्से से हो रुबरू
मुस्कुरा दीजिए ये तो है लखनऊ।
द्वारा डॉक्टर कृष्ण कुमार सिंह
गोमती नगर लखनऊ