मै नारी हूँ

मै नारी हूँ नारी हूँ, और एक अबला की कहानी हूँ

जाने कितने अपशब्दों की बेजुबान गाली हूँ

कहने को रूपक, देवी दुर्गा और काली हूँ

महिला उत्पीड़न, भ्रूण हत्या की अधिकारी हूँ ।

तुम बात करते हो ना, आधी आबादी की आज़ादी की

फिर क्यों नहीं देते,अपने मनमर्जी की शादी की

कब दोगे तुम आधी संसद मे, आधी आबादी की भागीदारी

फिर मत बनो तुम, झूठे छद्म नारीवादी ।

क्या तेज़ाब तहज़ीब ओर तलाक, मेरे लिए बने हैं

बाकी पुरुषो के सारे अपराध, आज बौने हैं

कब तलक मेरी पायल को तुम, बेड़िया समझोगे

कब तलक मेरी चूड़ियो को, हथकड़िया समझोगे ।

तुम ही बात करते हो ना, पुरुषार्थ की

किसी के कमजोर पड़ने पर, चूड़ियो के शृंगार की

क्या ये पुरुषार्थ, है घरेलू हिंसा का आधार

या चाहारदीवारी के अंदर, देते महिला को अधिकार

ये नासमझी ना करना, ऑनर किलिंग का दाव ना चलना

सृष्टि को चलने के लिए, अपने को जलने दिया है

तुम्हें तराशने की ख़ातिर, अपने को गलने दिया है

और तुम्हें जुबां देने को, अपने को बेजुबा किया है ।

मत बोलो मुझे अवतार, देवी दुर्गा और काली की

मुझे चाहिए अधिकार, सिर्फ अपनी बराबरी की

जिसका सिर्फ ट्रस्टी, बनाया था तुम्हें

जिसे तुम कब का अपना मान बैठे हो ।

Krishna Kumar Singh

Gomti Nagar, Lucknow

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