धन्य भाग्य वो भारत भूमि  जिसमें हुए एक लाल देश के

संघर्षो की अग्नि मे तप के पले बढ़े वे लाल देश के

आज़ादी के स्वप्न सुधा मे बढ़े चले वे सतत निरंतर

गिरफ़्तार हो कर के भी, अडिग रहे नवचल पथ पर।

धन्य भाग्य वो भारत भूमि  जिसमें हुए एक लाल देश के

कर्मयोग और सुचिता के नव प्रतीक थे लाल देश के

सच्चाई और सादगी के जीवंत गीत थे लाल देश के

करते थे उपवास रात मे कहते थे भूखा है भारत

खुद से वे करते थे खेती लक्ष्य था आत्मनिर्भर भारत

धन्य भाग्य वो भारत भूमि  जिसमें हुए एक लाल देश  के

रेल दुर्घटना के होने पर दिया इस्तीफ़ा मंत्री पद से

कच्छ की गीली धरती को बदल दिया संकल्प शक्ति से

हरित क्रांति को जन्म दिया शत्रु देश को धूल चटा दी

जय जवान जय जय किसान कह अमर रहे वे लाल देश के।

धन्य भाग्य वो भारत भूमि  जिसमें हुए एक लाल देश  के l

डॉ. कृष्ण कुमार सिंह

गोमती नगर, लखनऊ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *