अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस पर विशेष स्वरचित कविता साझा कर रहा हूँ।

                   जल बीना सब सूना सूना

जल बीना सब सूना सूना, जल बीना अधूरा है     

आओ मिल के जल बचाएं, हम सब मिल के कल बचाएं।                         

सूखी धरती सूखा अंबर, सूखी डाली डाली है

सुखी पावस सूखा मानस, सब कुछ खाली खाली है।

जंगल का सफाया कर के, वायु को प्रदूषित किया

जल को यूं ही बहा कर के, अपनी ही झोली साफ किया।

मानव ने जलाया वायु को, वायु ने जलाया जंगल को

जंगल नहीं तो जल नहीं, जल नहीं तो कल नहीं।

ऑस्ट्रेलिया ने ऊँटो को मारा, पावक ने मारा जंगल को

जल नहीं रहेगा जब, क्या हम जाए मंगल को।

बम्बू ड्रीप इरीगेशन और, स्प्रिंकलर को अपनाएँगे

स्वर्ग सी सुंदर इस धरा को, हरा भरा हम बनाएँगे।

कुल गुल एवं जौहर पद्धति, जल संरक्षण की विधा है

मुफ्त मे इसको अपनाने मे हम सबको क्या दुविधा है।

ट्रिपल आर के फ़ौरमुले को हम सब मिल कर अपनाएँगे

जल संरक्षण के अवसर पर, मिल कर हम सब गाएँगे।

घर विद्यालय या हो कार्यालय, वॉटर अलार्म लगाएंगे

हम सब मिल के ले यह शपथ कि, एक एक बूंद बचयंगे।

द्वारा,

कृष्ण कुमार सिंह

गोमती नगर, लखनऊ

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