हमने सीखा है चिड़ियों को चहकने देना
बगिया में दो फूलों को महकने देना
नफरत की बीज को जिसने भी बोया है
प्यार की जमीं को उसने ही खोया है।
हमने सीखा है चांद को चमकने देना
सूर्य के प्रदिप्त को दमकने देना
घृणा और द्वेष को जिसने अपनाया ही
प्रेम और सम्मान को उसने झुठलाया है
हमने सीखा है विज्ञान को पनपने देना
तुम में मै और मैं में तुम को खोने देना
चोरी झूठ हिंसा से धन जो कमाया है
मानवता के हिस्से वो काम नहीं आया है
हमने सीखा है सेवा और सत्कार करना
गम को कम और कम को जम कर स्वीकार करना
सुख को बांटेंगे दुख में हाथ बढ़ाएंगे
मानव जन्म का मान बढ़ा हर लक्ष्य को पाएंगे।
हमने सीखा है उम्मीद को जगाये रखना
स्वप्न को हर जीत में सजाये रखना।
विविधता की मोती को माला में पिरोयेंगे
अनेकता में एकता के बीज हम सब बोयेंगे।
हमने सीखा है चिड़ियों को चहकने देना
बगिया में दो फूलों को महकने देना।
द्वारा डॉक्टर कृष्ण कुमार सिंह