मेरे सर्वप्रिय महापुरुष डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 🙏 के जन्मदिवस (15 अक्टूबर) के अवसर पर उन्हें समर्पित मेरी कविता l
धन्य हुआ वो जन्मभूमि जिसने ये उपहार दी
तमिल क्षेत्र के रामेश्वरम ने देश को सौगात दी
जुल्फ लम्बे दिल से सच्चे चेहरे पे मुस्कान
एक हाथ मे था गीता एक मे कुरान
ललाट पर वो तेज था नाम था कलाम
नाम था कलाम नाम था कलाम
लाखो पौधो को भी सीचा अपने ही संज्ञान से
देश रक्षा की खातीर वे भिड़ पड़े विज्ञान से
पृथ्वी और परमाणु मे दी अग्नि की उड़ान
दिल की हर धड़कन मे था उनके हिंदोस्तान
ललाट पर वो तेज था नाम था कलाम
नाम था कलाम नाम था कलाम
पढ़ने के खरचे की ख़ातिर बेचे वे अखबार भी
त्याग और बलिदान कर सपने को उड़ान दी
अंतरिक्ष और प्रक्षेपण मे बढ़ा देश का मान
मिट्टी के हर कण को है उस ज्ञान का अभिमान
ललाट पर वो तेज था नाम था कलाम
नाम था कलाम नाम था कलाम
द्वारा- डॉ कृष्ण कुमार सिंह, लखनऊ