कि लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

एक बुराई को दुजे से वे तोले

नारी को ही सभ्य बनाने को बोले

लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं।

कि लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

अतीत के महिमामंडन को अब छोड़ो

महिलाओं को जाति से भी ना जोड़ो

लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

कि लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

कब तक अपने आकाओं के तलवे चाटोगे

झूठ को भी तुम सच्चाई बना डालोगे

लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

कि लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

आपस मे ही लड़ भिड़ के सब शून्य चले

डपली बन के आकाओं के हाथ तले

लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

कि लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

जाति धर्म के आकाओं की जय जय कर दी

अर्थतन्त्र को लोकतन्त्र की चाबी दे दी

लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

कि लोपतंत्र मे जन गण मन कठपुतली हैं

द्वारा- डॉ कृष्ण कुमार सिंह, लखनऊ

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